NCERT-भूगोल-कक्षा-07-अध्याय-09
प्रधान शब्दावली
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गर्म मरुस्थल एवं शीत मरुस्थल
- क्षेत्र एवं निकटवर्ती स्थलाकृति,
- तापमान,
- वायु का दाब,
- अक्षांश स्थिति,
- तटीय क्षेत्र निकटता तथा
- पवन प्रवाह दिशा मिलकर किसी
भी स्थान पर होने वाले वर्षण/ Precipitation को नियमित करती हैं।
परिणाम स्वरूप -
- वह स्थान जहां पर हिमपात के रूप में होने वाला वार्षिक वर्षण 25 सेंटीमीटर अथवा उससे कम होता है, तथा
- इसके साथ ही वाष्पीकरण की दर कम होती है
- तब वह स्थान शीत मरुस्थल में परिवर्तित हो जाता है।
वाष्पीकरण की दर न्यूनतम होने का मुख्य कारण-
- ग्रीष्म ऋतु का अल्पकालीन होना, तथा
- इसके साथ साथ ही हिमखंड का न्यूनतम मात्रा में पिघलना है।
परिणाम स्वरूप विश्व के 3 सबसे बड़े प्रथम मरुस्थल में दो शीत मरुस्थल है जिसमें-
- अंटार्कटिक/ Antarctic तथा
- आर्टिक/ Arctic क्षेत्र का है।
इसके विपरीत -
- वह मरुस्थल जोकि निम्न तथा मध्य अक्षांश की स्थिति में होते हैं, एवं
- जहां का वार्षिक वर्षा 25 सेंटीमीटर अथवा से कम होती है,
- लेकिन वाष्पीकरण की दर तुलनात्मक रूप से अधिक होती है गर्म मरुस्थल में परिवर्तित होते हैं।
सहारा मरुस्थल
- सहारा मरुस्थल विश्व का तीसरा सबसे बड़ा तथा विश्व का सबसे बड़ा गर्म मरुस्थल है
- जिसका कुल क्षेत्रफल लगभग 8.54 (9.2 )लाख वर्ग किलोमीटर का है, तथा
- यह अफ्रीका महाद्वीप पर स्थित है।
यदि जलवायु की दृष्टि से अवलोकन करे तब ध्यान में हैआता कि-
- मरुस्थल उन स्थान पर बनते हैं जहां की वार्षिक औसत वर्षा 25 Cm से कम रहती है
- अर्थात, तुलनात्मक रूप से, यह उच्च वायुदाब वाले क्षेत्र है।
- क्योंकि वायुदाब अधिक है इसलिए वर्षा ऋतु अल्पकालीन है।
- परिणाम स्वरुप नमी संचयन दर, तुलनात्मक रूप से, अधिक होती है।
- दिन के समय का तापमान 50 डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुंच जाता है
- जबकि रात के समय का तापमान लगभग 0
°C होता है।
- वनस्पति के रूप में कैक्टस/ Cactus, खजूर/ Dates Palms के पेड़ तथा एकेशिया/ Acacia पाए जाते हैं
अल अजीजिया/ Al Azizia
- अफ्रीका के उत्तर में स्थित देश लीबिया/ Libya की राजधानी त्रिपोली/ Tripoli के दक्षिण में स्थित यह क्षेत्र है।
- वर्ष 1922 में यहां का सर्वाधिक तापमान 57.5 डिग्री सेंटीग्रेड पंजीकृत हुआ था।
मरउद्यान/ Oasis
- पृथ्वी पर दो बल कार्य करते हैं -
- अंत: जतीय/ Endogenic
- बाह्य जातीय बल/ Exogenic Force
- बाह्य जातीय बल का एक कारक पवन के द्वारा जब मरुस्थलीय क्षेत्र में रेत को पवन उड़ा ले जाती है तब एक बेसिन अर्थात निम्न क्षेत्र का निर्माण होता है।

- परिणाम स्वरूप दाब के अंतर के कारण भूमिगत जल सतह पर आकर एक मरू उद्यान का निर्माण करता है।
- क्योंकि मरुभूमि से जल बाहर आता है हम जानते हैं जल की उपस्थिति वनस्पति का एक वृद्धि कारक है।
- इसलिए मरुभूमि में एक उद्यान का निर्माण
होता है इसे ही अंग्रेजी भाषा में Oasis कहते
हैं।
टैफि़लालेट/ Tafilalet
- इसी मरूउद्यान के प्रमुख उदाहरण अफ्रीका महाद्वीप के सहारा मरुस्थल के पश्चिमी छोर पर स्थित मोरक्को/ Morocco देश है जहां विश्व का सबसे बड़ा मरू उद्यान टैफि़लालेट स्थित है।
- इसका कुल वर्ग क्षेत्रफल 13,000 वर्ग किलोमीटर का है।
बेदुएन्न (Beduins)
एवं तुआरेग (Tauregd)
- जब दिन का तापमान लगभग 50 डिग्री तथा रात्रि तापमान 0 डिग्री का होगा
- तब इतनी अधिक तापमान प्रवणता वाले क्षेत्र में सामान्य कृषि एवं वनस्पति का होना भौगोलिक दृष्टि सेअसंभव है।
- परिणाम स्वरूप चलवासी जनजाति का विकास होता है
- जो की ऋतु परिवर्तन के साथ अलग-अलग स्थान पर प्रवास करते हैं
- इन्हीं में से प्रमुख यह 02 अफ्रीका मरुस्थल की प्रमुख जनजातियां है।
- यह लोग भेड़, बकरी, ऊंट एवं घोड़े जैसे पशुधन को पलते हैं।
- कृषि और उसके संबंधित उत्पाद के अभाव में यही जीवन संरक्षण का कार्य करते हैं।
- जहां भेड़ एवं बकरी भोजन पदार्थ के रूप में तथा ऊंट एवं घोड़े परिवहन के प्रयोग में लिए जाते हैं।
चलवासी जनजाति / Nomadic
tribe
- चलवासी जनजाति अर्थात वह जनजातियां जो ऋतु के अनुसार एक स्थान से दूसरे स्थान के लिए प्रवास करते है।
- पशु चारण को अपनाकर अपनी जीविका को चलते हैं।
- भूगोल सब कुछ निर्धारित करता है तो भूगोल की दृष्टि से ऐसा क्षेत्र जो की शुष्क अथवा अर्धुसुष्ट क्षेत्र होता है वहां पर ही आपको इस प्रकार की चलवासी जनजातीय मिलेगी।
- क्योंकि जहां,
उदाहरण के लिए, गंगा के मैदान जैसी स्थिति है
वहां चलवासी जनजाति नहीं मिलेगी।
- एक निश्चित क्षेत्र में ही पर्याप्त कृषि और उसका उत्पादों की उपलब्धता व्यक्ति को सभ्यता विकास करने का अवसर उसकी स्थानीय परिस्थितियों में देती है।
- क्योंकि अब भोजन की आवश्यकता की पूर्ति करने के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान जाने की आवश्यकता नहीं है।
लद्दाख / Ladakh
- लद्दाख में आपको ऊंचाई का क्षेत्र 3000 मीटर से 8000 मीटर तक का मिल जाता है।
- यदि हम अक्षांश रेखाओं की स्थिति के अनुसार लद्दाख के अध्ययन करें तो ध्यान में आता है कि, तुलनात्मक रूप से, यह उच्च वायुदाब पट्टी का क्षेत्र है।
- उच्च वायुदा पट्टी का क्षेत्र अर्थात वर्ष का कम होना।
- इसके साथ ही ऊंचाई अधिक होने के कारण यहां पर अधिक ठंड पड़ती है।
- उपरोक्त दोनों कारण के परिणाम स्वरुप यह शीत मरुस्थल में परिवर्तित होता है।
खा-पा-चान
- यह लद्दाख का हीं एक नाम है।
- क्योंकि यह शीत मरुस्थल का क्षेत्र है इस कारण से अत्यधिक ठंड क्षेत्र के अंतर्गत इसका वर्गीकरण होता है।
- चुकी यह हिम आवरण के प्रभाव में रहता है इस कारण से इसको हिम भूमि क्षेत्र या खा-पा-चान कहते है।
वृष्टि छाया क्षेत्र / Rain
Shadow zone
- वर्षा का होना पवन प्रवाह पर निर्भर करता है लेकिन वर्षा का वितरण भौगोलिक स्थलाकृति पर निर्भर करता है।
- पवन प्रवाह में पर्वत का वह ढाल जो पवन विमुख दिशा में Leeward side स्थित होता है वर्षा को प्राप्त नहीं कर पाता क्योंकि वहां पहुंचते-पहुंचते पवन शुष्क हो जाती है इस प्रकार प्रभावित क्षेत्र वर्षा छाया क्षेत्र कहलाता है।
चिरू या तिब्बती एंटीलोप / Chiru
or Tibetan Antelope
- यह एक विलुप्त प्रायः जीव है जिसका आखेट "शहतूश" नमक इसके ऊन के कारण होता है।
- यह ऊन भार में हल्का तथा ऊष्मा का कुचालक अर्थात अत्यधिक गर्म होता है।
गोंपा/ Gompas
- लद्दाख के क्षेत्र में बौद्ध धर्म का अधिक
प्रभाव है।
- बौद्ध संप्रदाय के अनुसार तिब्बती शैली में बने मठ अर्थात मंदिर को गोंपा कहा जाता है।
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