मणिपुर, नव साम्राज्यवाद (New Colonialism ) एवं AFSPA-भाग-01 & Manipur Cm N. Biren Singh resignation
समय था वर्ष 1813 भारत के लिए नया चार्टर एक्ट-1813/ Charter Act 1813 आया जिसमें प्रावधान किया गया कि E#सा#Eवा+द के प्रचार एवं प्रसार के लिए E#सा#Eवा+द मिश@नरी को भारत भेजा जाएगा।
" उस समय का
प्रत्यक्ष साम्राज्यवाद आज नव साम्राज्यवाद के रूप में अप्रत्यक्ष रूप से कार्यरत
है।"
अब जब मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह - Manipur Cm N. Biren Singh resignation - ने अपना
त्यागपत्र दे दिया है तब इस घटना की परिपेक्ष में मणिपुर का एक विश्लेषण करते हैं।
मणिपुर/ Manipur-
- नव साम्राज्यवाद/ New Liberalism और
- AFSPAके प्रथम भाग में आज
इसी दृष्टिकोण से मणिपुर की चर्चा करेंगे।
पारंपरिक रूप से साम्राज्यवाद का अर्थ -
- एक प्रत्यक्ष प्रशासनिक व्यवस्था की स्थापना एक शक्तिशाली देश के द्वारा किसी दूसरे देश को उपनिवेश बनाकर किया जाना होता था।
- जैसे कि भारत का उपनिवेशीकरण/ Colonisation ब्रिटिश/ British साम्राज्य के द्वारा किया गया था चुकी वह ब्रिटिश साम्राज्य का विस्तार था इसलिए उसे ही साम्राज्यवाद बोला गया।
लेकिन आप हर एक बार साम्राज्यवाद का विस्तार प्रत्यक्ष रूप से नहीं कर सकते क्योंकि-
- क्योंकि वहां की भौगोलिक संरचना की सुगमता एक कारण तथा
- सामाजिक विद्रोह की संभावना दूसरे कारण के रूप में विद्यमान रहती है
- इसलिए अनेक बार नीतियों के क्रियान्वयन द्वारा अप्रत्यक्ष साम्राज्यवाद का विस्तार किया जाता है।
भारत में मणिपुर का ज्वलंत विषय इसका एक उदाहरण है तथा
- मणिपुर का मणिपुर बनना नव साम्राज्यवाद के अध्ययन का विषय है जहां
- अप्रत्यक्ष कार्य योजना के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से साम्राज्य का विस्तार किया जा रहा है।
इस साम्राज्यवाद
में दो प्रमुख शक्तियां प्रकाश में आती हैं
- एक कम्युनिज्म/ कम्युनिस्टवा+द तथा
- दूसरा E#सा#Eवा+द।
दोनों ही शक्तियों का -
- प्राथमिक उद्देश्य पहले सामाजिक संरचना के विघटन का है
- क्योंकि इसके माध्यम से ही भौगोलिक विस्तार संपन्न होगा एवं
- भारत का खंडन पूर्वोत्तर राज्यों से किया जा सकता है।
पूर्वोत्तर राज्यों की यदि संस्कृत पर दृष्टिपात करे तो अनेक आदिवासी समूह ध्यान मे मे आते है जिसमे प्रमुख रूप से
- नागा,
- मिजो,
- गारो,
- खासी,
- जयंतिया,
- न्याशी,
- अंगामी,
- भूटिया,
- कुकी,
- रेंगमा समूह है।
यदि आदिवासी समूह
के मानक का अध्ययन करें कि कौन आदिवासी हो सकता है तो 04 प्रमुख पक्ष सामने निकल कर आते हैं
- प्रथम जीवन शैली प्राचीन पद्धति आधारित होनी चाहिए
- दूसरा एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में पाए जाने चाहिए।
- बाह्य समाज से संपर्क या तो नहीं होता है या न्यूनतम होता है, तथा
- सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़े होना चाहिए।
इन चार मनको के आधार पर यदि पूर्वोत्तर राज्यों का अध्ययन करते हैं तो समझ विकसित होती है कि -
- यह संपूर्ण क्षेत्र आदिवासी संस्कृति के दृष्टिकोण से अत्यधिक संवेदनशील क्षेत्र बनता है।
- अब चुकी आदिवासी बाह्य संपर्क न्यूनतम रखता है
- इसलिए प्राकृतिक नियम और मानसिक दशा के अनुसार अस्तित्व का संरक्षण तथा उसका संकट सदैव बना रहता है।
- और यही एक मूल कारण है की जो सुरक्षा का भाव आदिवासी समूह की एकरूपता के लिए काम करता है
- वही ठीक विपरीत दूसरे आदिवासी समूह के संबंध में यह असुरक्षा में परिवर्तित होता है।
- इस प्रकार अस्तित्व का संकट एक स्वाभाविक लक्षण है।
हम यह बात क्यों कह रहे हैं क्योंकि वर्तमान का मणिपुर संकट भी तीन आदिवासी समूह के मध्य जिसमें कि -
- नागा,
- कुकी और
- मैतई समूह है।
अब यदि मणिपुर का अध्ययन आदिवासी समूह संरचना के आधार पर करें तो -
- जहां मैतई समूह, जो कि प्रमुख रूप से मणिपुर की राजधानी ( Capital) इंफाल (Imphal) के नाम से जाने वाली इंफाल घाटी / Imphal Valley में निवास करता है, सनातन संस्कृति का अनुसरण करता है
- वही नागा और कुकी समूह E#सा#Eवा+द संस्कृति का अनुसरण करते हैं।
- यह पर ही उनके मध्य उपस्थित एक सशस्त्र सेना जो कि भारत राज्य एवं सरकार के विरुद्ध युद्ध लड़ती है
- साम्यवादी विचारधारा का प्रतिनिधित्व करती है।
👉 इजरायल
फिलिस्तीन विवाद- कारण-भाग-1 👀
विश्व पटल पर यदि संघर्षों के कारणों का पता करें तो 03 प्रमुख कारण सामने निकल कर आते हैं-
- प्रथम आर्थिक
- द्वितीय वर्चस्व और
- तीसरा अस्तित्व।
- वेनेजुएला Venezuela
या केन्या Kenya की आंतरिक अशांति का कारण आर्थिक है।
- जब Aमे#रिका (U#S#A) Aमे#रिकी महाद्वीप से बाहर दूसरे क्षेत्रों में युद्ध लड़ता है तो इसका प्रमुख कारण आर्थिक एवं राजनीतिक हस्तक्षेप के माध्यम से वर्चस्व स्थापित करने का रहता है।
- लेकिन जब रूस Russia
पर यू#क्रे#न U#kra#in पर आक्रमण करता है तो इसका
प्रमुख कारण आर्थिक हित के साथ अमे#रिका और ना#टो N#A#T#O
के विरुद्ध अपने अस्तित्व को बनाए रखना है।
- यदि हम भारतीय दृष्टिकोण से देखें तब यह सुरक्षा कारण से होता है
- जबकि पाकिस्तान की दृष्टि से यह वर्चस्व का कारण बनता है।
अर#ब देश इ#जराइ#ल (IS#RE#AL) पर आक्रमण करते हैं -
- ताकि अर@ब मु@स्लि#म समाज का वर्चस्व बना रहे
- जबकि इस@राइ#ल जब युद्ध लड़ता है तो यह उसके अस्तित्व का विषय है।
मणिपुर में तीनों जनजातियों के बीच संघर्ष का कारणों का यदि विश्लेषण करें तो -
- नागा और कुकी की ओर से यह एक वर्चस्व का विषय है
- क्योंकि दोनों नव साम्राज्यवाद के हाथों में कठपुतली के समान कार्य करते हैं
- जहां E#सा#Eवा+द और साम्यवा+द अपना खेल खेल रहा है।,
वहीं दूसरी ओर मैतई समाज के समक्ष यह अपने सनातन संस्कृति और अस्तित्व को बचाने का विषय है
- क्योंकि जो भूमि
सुधार 70 के दशक में वहां किया गया
- उसके अनुसार नागा और कुकी उनके क्षेत्र में आकर भूमि खरीद सकते हैं
- लेकिन वह मैतई समाज पर्वतीय क्षेत्र में जाकर उनके क्षेत्र में भूमि नहीं खरीद सकता।
यह कुछ एक प्रकार का लैं#ड जि#हा#D भारतीय संस्कृति एवं हिंदू मैतई समाज के विरुद्ध 70 के दशक में किया गया था जिसका परिणाम आज-
- मणिपुर की संस्कृति,
- समाज और
- भारत राज्य भुगत रहा है।
नव साम्राज्यवादी विचारधारा को -
- आधार मणिपुर के सांस्कृतिक आदिवासी समूह में उपस्थित इस अस्तित्व के संकट भाव से मिलता है और
- इस प्रकार कुछ अन्य सामाजिक विषमताओं एवं बुराइयों के साथ
- एक इस प्रकार का मिश्रण तैयार होता है
- जहां भारत को खंडित करने का षड्यंत्र इन नव साम्राज्यवादी शक्तियों के द्वारा भविष्य की योजना के साथ भूतकाल से किया जा रहा है
- जो वर्तमान में जारी है।
👉 यह भी अध्ययन करें
इंदिरा गांधी / INDIRA GANDHI- भारतीय राजनीति का अध्याय 👀
द्वितीय भाग
मे चर्चा करेंगें केंद्र सरकार को क्यों
पांच जिलों के छह पुलिस थानों में AFSPA क्रियान्वित
करना पड़ा?
🙏🙏.....
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