इजरायल फिलिस्तीन विवाद-कारण-भाग-3
👉प्रथम यह अध्ययन करें 👀
इजरायल फिलिस्तीन विवाद- कारण-भाग-1
इजरायल फिलिस्तीन विवाद- कारण-भाग-2
अनुक्रमणिका / Index
- विषय परिचय
- विवाद का विषय
- इतिहास काल एवं उसका विभाजन
- प्राचीन इतिहास
- आधुनिक इतिहास एवं शांति प्रयास
- May-2021 का विवाद विषय
- वर्तमान विवाद विषय
- भारत की विषय पर स्थित
- समस्या का समाधान पक्ष
- निष्कर्ष
मई 2021 विवाद का कारण
यह एक भूमि संपत्ति विवाद विषय था
पूर्वी यरुशलम में
अल अक्सा मस्जिद से थोड़ी दूर एक स्थान है शेख जर्रा जो की एक अरब बहुल क्षेत्र है।
लगभग 1870 के निकट से यहूदियों ने मुसलमानों से कुछ घर खरीदे लेकिन निवास के लिए वह वहां रहे नहीं रहे।
चुकी संपत्ति आधिकारिक रूप से यहूदियों के
नाम पर थी और मुसलमान वहां रहते रहे इसलिए काम सामान्य रूप से चला रहा।
वर्तमान इजराइल देश के अस्तित्व में आने के पश्चात अब यहूदी
चाहते हैं कि यह क्षेत्र भी यहूदी बहुल हो जाए।
अब यहूदियों ने यहां दावा किया कि यह संपत्ति हमारी है अतः
अब मुसलमान स्थान को खाली करें और विषय न्यायालय के समक्ष चला गया।
न्यायालय ने विधि अनुसार बताया कि -
- यहूदि दावा तो ठीक है
- किंतु निष्कासित करने की कार्यवाही उचित नहीं होगी
- लेकिन किराया मिलना चाहिए।
विषय अरब मुसलमान ने अपनी अस्मिता के विरुद्ध पाया और सारा विषय सुप्रीम कोर्ट में चला गया जिसका निर्णय
10/05/2021 को आने वाला था।
मुस्लिम समुदाय ने यह मान लिया कि निर्णय विरोध में आएगा इसलिए वहां दंगे प्रारंभ हो गए।
वैधानिक स्थिति यह है कि -
- संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव के अनुसार जेरूसलम पर इजरायल की वैधानिक अधिकारिता नहीं है
- इसलिए इसराइल अथवा वहां के यहूदी उस पर इजरायल की विधि व्यवस्था लागू नहीं कर सकते।
- इसके विपरीत इसराइल के शासन ने जो व्यवस्था बना रखी है उसमें यहूदी अपनी पुरानी संपत्तियों पर मुसलमान के विरुद्ध अधिकार मांग सकते हैं।
- किंतु अरब के मुसलमान इसराइल के विधि अनुसार ऐसा कोई अधिकार का दावा नहीं कर सकते।
1967 में जो युद्ध हुआ था उसका विजय दिवस 9 में को मनाया जाता है इसके संदर्भ में विजय उत्सव निकलना था।
सैद्धांतिक रूप से यह जेरूसलम के मुस्लिम बहुल क्षेत्र से
नहीं निकलता था किंतु इस बार इसकी अनुमति दे दी गई इस विषय को लेकर तनाव का
दूसरा कारण बना।
प्रतिक्रिया में 7 मई और 8 मई की रात को पुलिस पहली बार
लक्ष्मण रेखा पार्क पहली बार हरम अल शरीफ में प्रवेश कर उसको अपने नियंत्रण में ले
लिए ।
चेतावनी स्वरूप आतंकवादी संगठन हमास ने कहा कि संध्या काल
से पहले इजरायल इस क्षेत्र को मुक्त कर दें अन्यथा हम आक्रमण करेंगे। लेकिन इसराइल ने इस पर अपनी कोई प्रतिक्रिया
नहीं दी।
वर्तमान युद्ध करण
6 से 7 अक्टूबर के मध्य -
- फिलिस्तीन के आतंकवादी संगठन हमास #Hamas, जो वास्तव में फिलिस्तीन का एक अप्रत्यक्ष विस्तार अंग है, ने "कार्यवाही अल अक्सा फ्लड / Operation Al Aksa Flood" के अंतर्गत इसराइल पर बहाइए एवं आंतरिक रूप से अप्रत्यक्ष सुनियोजित आक्रमण कर दिया
- वह भी तब जब इजराइल का यहूदी समाज अपने धार्मिक
उत्सव योम किप्पुर को मना तथा लगभग
संपूर्ण इजरायली समाज उसे समय सार्वजनिक अवकाश पर होकर उत्सव में व्यस्त था।
- आतंकवादी कार्यवाही का नाम "अल अक्सा" के नाम पर होना दर्शाता है कि, जैसा कि हम बताते आ रहे हैं, यह धर्म के आधार पर ही संपूर्ण संघर्ष अस्तित्व में बना हुआ है क्योंकि मक्का एवं मदीना के पश्चात मुस्लिम समुदाय का यह तीसरा सर्वाधिक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान है।
- इसराइल ने इसको अपनी संप्रभुता एवं अस्तित्व पर आक्रमण घोषित किया है तथा
- तीव्र एवं कठोर प्रतिक्रिया स्वरूप इसराइल इस समय ग़ज़ा में अपनी युद्ध सैनिक कार्यवाही कर रहा है।
जैसा कि हम पहले भी चर्चा कर चुके हैं इसराइल और फिलिस्तीन के दृष्टिकोण में
अंतर है फिलिस्तीन अथवा अरब समाज के लिए यह वर्चस्व का विषय है जबकि इजरायल के लिए
यह है अस्तित्व का विषय है और वह इस अस्तित्व को बचाने के लिए निरंतर संघर्षरत है।
👉 राज्यव्यवस्था- राज्य की परिभाषा 👀
भारतीय सरकार का पक्ष-
- वर्ष 1992 तक भारत ने प्रखर रूप से फिलिस्तीन का पक्ष लिया और यह सोवियत संघ के विघटन विघटन तक चला रहा।
- सोवियत संघ के विघटन के साथ ही रूस अमेरिका के सापेक्ष बहुत कमजोर हो गया
- प्रतिक्रिया परिणाम स्वरूप इसराइल के सापेक्ष फिलिस्तीन कमजोर हो गया था और कुल मिलाकर इस समय विश्व में केवल एक सर्वशक्तिमान देश बच्चा जिसका नाम अमेरिका था।
- इसलिए अब भारत की विदेश नीति की मांग थी कि इसराइल से संबंध प्रगाढ़ किया जाए परिणाम स्वरुप वर्ष 1992 में भारत ने Tel Aviv में अपना दूतावास खोल।
- वर्ष 1996 में हमने फिलिस्तीन - गाज़ा में भी एक दूतावास कार्यालय खोला।
- अटल बिहारी वाजपेई अर्थात बीजेपी की सरकार आते हैं वर्ष 2000 में पहली बार भारत के गृहमंत्री तथा विदेश मंत्री इजरायल की यात्रा पर गए।
- वर्ष 2003 में वहां के प्रधानमंत्री एरियल शेरोन भारत की राजकीय यात्रा पर आए।
- वर्ष 2004 से 14 तक पुनः भारत सरकार का पक्ष फिलिस्तीन के अधिक समर्थन में रहा इसी का परिणाम था की महमूद अब्बास भारत की राज्य की यात्रा पर चार बार आए।
- 2014 से भारत पुनः इसराइल के पक्ष में है किंतु संतुलन बना हुआ है और
- यह उसी संतुलन का परिणाम था कि वर्तमान सरकार ने हमास आतंकवादी संगठन तथा उसके द्वारा किए गए आतंकवादी आक्रमण की निंदा की किंतु फिलिस्तीन के लिए गाज़ा के क्षेत्र में निवास कर रहे लोगों के लिए सहायता सामग्री भी पहुंचने का कार्य किया।
- वर्ष 2016 में इजरायल के प्रधानमंत्री Reuven Rivlin 7 दिन की राजकीय यात्रा पर भारत आए और इस प्रकार भारत की राजकीय यात्रा करने वाले वह दूसरे प्रधानमंत्री इजरायल के बने।
- वर्ष 2017 में फिलिस्तीन अथॉरिटी के प्रमुख महमूद अब्बास भारत की राजकीय यात्रा पर आए।
- वर्ष 2017 प्रधानमंत्री ने इजरायल की यात्रा की लेकिन पहली बार ऐसा हुआ कि भारत की राजकीय यात्रा से आए व्यक्ति ने फिलिस्तीन की राजधानी राम अल्लाह नहीं गए।
- वर्ष 2018 में इसराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के द्वारा भारत के आधिकारिक यात्रा की गई।
संघर्ष का
संभावित समाधान-
- धर्म अर्थात धारण करना धारण अर्थात पात्रता का विकसित होना
- पात्रता परिस्थितियों के अनुसार विकसित होती है जिसमें यहूदी धर्म और इस्लाम दोनों को ही परिस्थिति अनुसार पात्रता विकसित करनी होगी तथा
- एक दूसरे के राज्यों को नहीं अपितु धार्मिक सहिष्णुता एवं विविधता को मान्यता देनी होगी।
इस समस्या
का निष्कर्ष तथा समाधान धर्म आधारित ही हो सकता है क्योंकि मूल विषय धर्म संबंधित विवाद
एवं उससे उपजे संघर्ष का है इसलिए राज्य पूरक समाधान स्थाई नहीं है जबकि धार्मिक सहिष्णुता
एवं विविधता पूरक प्रयास ही इस समस्या का समाधान ला सकता है।
एक दूसरे के
राज्यों को मान्यता इस समाधान का उत्पाद है।
वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों में यदि दोनों सहिष्णुता एवं विविधता का परिचय देते हैं तो समझ पाएंगे कि -
- किसी भी एक राज्य को समाप्त नहीं किया जा सकता
- दोनों का अस्तित्व बना हुआ है तथा भविष्य में भी बना रहेगा और
- यदि अस्तित्व बना रहेगा तो फिर विचार यह होना चाहिए कि संघर्ष कैसे समाप्त हो?
क्योंकि अस्तित्व के प्रभाव में संघर्ष, वर्तमान
मानसिकता के साथ, चलता रहेगा जिस से समुदाय और सभ्यता का विकास नहीं हो पाएगा।
जब संपूर्ण विश्व में अनेक समस्याएं चल रही है जहां पर सबसे बड़ी समस्या-
- प्राकृतिक विविधता में कमी आना तथा
- जलवायु परिवर्तन की है तब दोनों देशों को चाहिए की संघर्ष को समाप्त करते हुए समन्वय एवं संवाद को आत्मसात करें और
- पहले प्रकृति को बचाने का प्रयास हो
- जिसके लिए सभ्यताओं का संघर्ष विराम, शांति तथा विकास प्राथमिक आधारभूत आवश्यकता है।
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