इंदिरा गांधी / INDIRA GANDHI- भारतीय राजनीति का अध्याय
"देश ने इंदिरा नेहरू गांधी को क्या समझा या वह उनके विषय में क्या समझ रखता था इसका एक प्रत्यक्ष उदाहरण इस तथ्य से मिलता है कि उनकी मृत्यु के पश्चात कांग्रेस को और किसी भी राजनीतिक दल को लोकसभा में अब तक का सबसे बड़ा बहुमत 404 सीटों का मिला।"
19/11/1917- T0- 31/10/1984
आज इंदिरा गांधी की जयंती है जिस पर एक
विश्लेषण इस लेख के माध्यम से करने का प्रयास मैंने किया है।
- 50 वर्ष तक कांग्रेस पार्टी ने देश की सत्ता पर लगभग एक छत्र राज किया।
- वर्ष 1967 इंदिरा गांधी देश की तीसरी प्रधानमंत्री बनती है और इसी समय से उनके राजनीतिक निर्णय के कारण कांग्रेस के अंदर एक विरोध कोना धीरे-धीरे आयाम लेने लगता है।
- समय वर्ष 1969 -राष्ट्रपति चुनाव के समय कांग्रेस के 02 टुकड़े हो जाते हैं
- ऐसा लगा कि इंदिरा गांधी राजनीतिक रूप से बहुत कमजोर हो जाएगी, लेकिन वह राजनीतिक रूप से विजय होती है और
- वर्ष 1971 के चुनाव में कांग्रेस को असंभावित बहुमत मिला।
- वर्ष 1966 इंदिरा गांधी देश के प्रधानमंत्री बनती है, लेकिन अगले ही
- वर्ष 22/02/1967- गोलकनाथ केस में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक निर्णय से उनका न्यायपालिका के साथ टकराव प्रारंभ होता है।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, "विशेष बहुमत से संशोधन होने के पश्चात भी संविधान में मूलभूत अधिकारों के प्रावधान को ना तो समाप्त किया जा सकता है और ना ही सीमित किया जा सकता है।"
- वर्ष 1973- केशवानंद भारती केस जिसमें संविधान की मूलभूत संरचना सिद्धांत की आधारशिला रखी गई।
वर्ष 1973- इंदिरा गांधी ने न्यायपालिका के वरिष्टता सिद्धांत का उल्लंघन करते हुए न्यायाधीश ऐ.एन. रे (A.N.RAY) को सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) का मुख्य न्यायाधीश बनाने की अनुशंसा कर दी।- वर्ष 1975 लेकिन आपातकाल का मुख्य आधार बना 12/06/1975 का इलाहाबाद उच्च न्यायालय का निर्णय जहां पर रायबरेली से निर्वाचित होकर आई प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी के चुनाव को ही निरस्त कर दिया गया।
- और इस प्रकार न्यायपालिका के द्वारा इंदिरा गांधी को चुनावी पारदर्शिता उल्लंघन का दोषी माना गया।
परिणाम
- जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951 (The representation of people Act-1951) के अंतर्गत न्यायपालिका ने अगले 6 वर्षों के लिए उनके चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया।
- इंदिरा गांधी निर्णय के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय पहुंची तथा सर्वोच्च न्यायालय ने 24/06/1975 को याचिका के सुनवाई करते हुए कहा कि जब तक विषय सुना जाएगा इंदिरा गांधी अपने पद पर बनी रह सकती है, लेकिन, संसद मे किसी भी चर्चा पर मतदान करने का अधिकार नहीं होगा।
- यह कुछ ऐसा था कि पद पर हैं लेकिन उसकी शक्तियों का प्रयोग नहीं कर सकते
यह निर्णय आधारशिला बना उस भय का जो कि
इंदिरा गांधी के मन में उत्पन्न हुआ कि अब यहां से सत्ता जा सकती है।
आपातकाल (Emergency) के तीन मुख्य कारणों मे -
- एक छोर पर न्यायपालिका से प्रधानमंत्री का टकराव
- दूसरी ओर महंगाई तथा बेरोजगारी एवं
- तीसरी ओर राजनीतिक आंदोलन प्रमुख रूप से बिहार और गुजरात के
इन 03 कारणों से इंदिरा गांधी असमंजस की स्थिति में थी-
- अंततः 25 जून का दिन आया
- जेपी ने रामलीला मैदान में एक राजनीतिक सभा बलाई और नारा दिया "सिंहासन खाली करो जनता आती है"
- जेपी ने पुलिस सेना तथा आम जनता से सरकार के आदेशों का प्रतिकार करने का निवेदन किया
- यह बात इंदिरा गांधी को और असहज एवं अस्थिर कर गई।
इसके साथ ही एक और विचार के रूप में इंदिरा गांधी जी के मस्तिष्क जो था वह यह कि-
- उस समय अमेरिका ( USA ) के राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ( USA PRESIDENT RICHARD NIXON) थे।
- इंदिरा गांधी को ऐसा अभ्यास और शंसय था कि रिचर्ड निक्सन की भी भूमिका उनकी सरकार को अपदस्थ करने में हो सकती है।
परिणाम आपातकाल की उद्घोषणा कर दी गई।
*आपातकाल के बाद*
- वर्ष 1977 कांग्रेस
अंततः चुनाव हार गई
- जनता पार्टी 294
सीट के साथ सत्ता में आती है।
- इन परिणामों के साथ ही देश में गैर कांग्रेस राजनीतिक वाद प्रारंभ होता है और
- क्षेत्रीय स्तर पर ऐसे ऐसे राजनीति के छत्रप उभरते हैं
- जो कांग्रेस विरोध की राजनीति के चलते अपने राजनीतिक जीवन के शीर्ष स्थान पर पहुंचते हैं।
जनता पार्टी सरकार के कालखंड1977
से 1980 के बीच देश में पिछड़े राजनीति की
नींव डाली जाती है।
- वर्ष 1979 मंडल आयोग का गठन तथा
- वर्ष 1980 लोकसभा चुनाव विजय के पश्चात
- वर्ष 1984 इंदिरा गांधी की हत्या उनके सुरक्षा कर्मी के द्वारा कर दी गई
- क्योंकि पंजाब में जनरल सिंह भिंडर वाला के पालन, पोषण तथा उसके बाघ बनने का आरोप इंदिरा गांधी पर लगा।
इंदिरा गांधी के सकारात्मक राजनीतिक पक्ष कि यदि विवेचना की जाए तो -
- बैंक का राष्ट्रीयकरण तथा दूसरे आर्थिक सुधार
- चाहे वह पाकिस्तान के विरुद्ध युद्ध हो अथवा
- बांग्लादेश का निर्माण हो
- 3 वर्ष के अंदर जनता पार्टी सरकार का विघटन एवं जनता दल का राजनीतिक विघटन यह राजनीतिक संदेश देश को दे गया कि राजनीति वास्तव में विपक्ष की होती है तथा सत्ता को संभालना एक कठिन कार्य है।
- जिसको सतत बनाए रखने के लिए कठोर निर्णय लेने आवश्यक होते हैं।
इसलिए -
- पक्ष और विपक्ष सहित यह देश की राजनीति का कटु सत्य है कि
- देश का राजनीतिक इतिहास एक लंबे समय के लिए इंदिरा गांधी के चारों ओर ही लिखा गया और
- एक लंबे समय तक सत्ता में बना रहना सिद्ध करता है की
- राजनीति का पालन पोषण एक अत्यधिक कठिन और चुनौती पूर्ण कार्य है।
यद्यपि -
- यदि व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं को थोड़ा निम्न स्तर पर रखा जाता
- तो निश्चित रूप से उनके कार्यकाल का और सकारात्मक पक्ष सामने आ सकता था।
- किंतु कुछ प्रश्नों के उत्तर नियति पर छोड़ देने चाहिए।
इसलिए मैं उन शब्दों की पुनरावृत्ति पुनः
कर रहा हूं जो मैंने प्रारंभ में लिखे हैं कि-
“देश ने इंदिरा गांधी को क्या समझा या
वह उनके विषय में क्या समझ रखता था इसका एक प्रत्यक्ष उदाहरण इस तथ्य से मिलता है
कि उनकी मृत्यु के पश्चात कांग्रेस को और किसी भी राजनीतिक दल को लोकसभा में अब तक
का सबसे बड़ा बहुमत 404 सीटों का मिला।
जो वास्तव में इस देश के लोगों के द्वारा
श्रीमती इंदिरा गांधी के प्रति एक श्रद्धांजलि थी।“
🙏🙏.....
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