NCERT-राज व्यवस्था-कक्षा-6-अध्याय-02
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राज्य व्यवस्था-कक्षा-6-अध्याय-01
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मानव
विकास परिस्थितिकी तंत्र
हमारा -
1.
निवास किस प्रकार से है,
2.
हमने किस भाषा एवं भाषा
शैली का विकास किया है,
3.
हम भोजन में क्या लेते
हैं,
4.
किस प्रकार के वस्त्र को
धारण करते हैं,
5.
किस प्रकार की हमारी
प्रतिदिन जीवन शैली है एवं
6.
हम कौन-कौन से उत्सव
मनाते हैं ।
यह सभी हमारे -
1.
भौगोलिक एवं
2.
ऐतिहासिक परिस्थितिकी तंत्र पर निर्भर करते हैं।
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इसी का परिणाम है कि भारत में -
1.
राष्ट्रीय पर्व के
साथ-साथ,
2.
क्षेत्रीय एवं
3.
प्रादेशिक पर्व भी बनाए जाते हैं।
क्षेत्रीय दृष्टि के आधार पर-
- उत्तर पूर्व के पर्व उत्तर भारत में इतना प्रभाव नहीं रखते ।
- उत्तर भारत के पर्व दक्षिण भारत में प्रभाव नहीं रखते तथा
- दक्षिण भारत के पर्व शेष उत्तर पूर्व एवं उत्तर भारत में इतना अधिक प्रभाव नहीं रखते हैं।
भारत के राज्यों के आधार पर नृत्य का विभाजन इसका एक सटीक उदाहरण है।
भारत देश में -
1.
100 से अधिक नृत्य अस्तित्व में है
2.
संसार के सभी प्रमुख 8
धर्म भारत में विद्यमान है तथा
3.
16000 से अधिक भाषाएं भारत में बोली जाती है।
जोकि सुनिश्चित करती है कि भारत विविधताओं
का एक देश है।
समाज एवं विविधता में अंतर संबंध
सामान्य रूप से -
1.
चिन्हित मानकों के आधार
पर
2.
जब व्यक्तियों का समूह एक समान आचरण करता है अथवा एक समान आचरण श्रेणी में पाया जाता है
3.
तो वह एक समुदाय
अथवा समाज कहलाता है।
"चिन्हित मानक को संबोधित करते हुए
एक समान आचरण व्यक्ति समूह के द्वारा किया जाना ही समाज कहलाता है।"
अपने निकटवर्ती परिवेश में हम उन लोगों के साथ सुरक्षित एवं
आश्वस्त अनुभव करते हैं जो कि -
1.
हमारे समान ही दिखते हैं,
2.
जिनके जीवन
शैली हमारे समान है तथा
3.
विचार भी हमारे ही समान
है।
क्योंकि जब सब कुछ सामान होता है तभी समाज का निर्माण होता है ।
विविधता यहां पर एक विपरीत पक्ष का दायित्व निर्वहन करती है जहां पर -
1. व्यक्ति को अपने
निकटवर्ती परिवेश में ना तो सामान जीवनशैली मिलती है
2.
ना समान रूप से पहनने
वाले वस्तु, भोजन व्यवस्था अथवा विचार।
और इस
प्रकार विविधता की उपस्थिति में भी दो प्रथक समाज
का निर्माण होता है।
संभावना सदैव बनी रहती है कि -
1.
एक समय में इन दो प्रथक
समाज के मध्य संवाद के परिणाम स्वरूप,
2.
एक दूसरे की भिन्नता के
प्रति स्वीकार्यता बनेगी तथा
3.
समय के साथ एक दूसरे की
व्यवस्थाओं को आत्मसात करके
4. एक विविध एकरूपी समाज की स्थापना की जाएगी।
पूर्वाग्रह के आधार
अज्ञान पूर्वाग्रह का आधार होता है जहां -
1.
व्यक्ति परिस्थितियों का
अन्वेषण एवं विश्लेषण किए बिना ही
2.
एक आभासी (Virtual)
विचार से ग्रसित हो जाता है एवं
3.
ग्रसित होकर उसे स्थाई रूप से आत्मसात कर लेता है।
उदाहरण के लिए भारतीय इतिहास में पढ़ाया जाने वाला "आर्यन
आक्रमण सिद्धांत"।
यह भारतीय समाज का दायित्व था कि -
1.
वह अपने इतिहास का एक सटीक एवं तथ्यात्मक विश्लेषण करें जो नहीं किया गया
2.
परिणाम स्वरूप मिथ्या रूप मे प्रतिपादित सिद्धांत को एक पूर्वाग्रह के रूप में समाज के
द्वारा स्वीकार किया गया
3.
जिसने विविधता का मर्दन करके
4.
उत्तर एवं दक्षिण
भारत के समाज में वैमनस्यता
का बीजारोपण किया है।
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👀
असमानता एवं भेदभाव
पूर्वाग्रह की स्थिति में -
1.
जब समाज के व्यक्तियों
द्वारा अन्य व्यक्ति के संबंध में इस प्रकार का व्यवहार किया जाता है
2.
जोकि उनके सामाजिक समानता के अधिकार का उल्लंघन एवं
अतिक्रमण करता है तो
3.
यह असमानता कहलाता है
तथा यह असमानता का व्यवहार ही भेदभाव का बीजारोपण समाज
में करता है।
रूढ़ीवादी धारणा
पूर्वाग्रह की स्थिति में -
1.
जब एक विचार स्थापित
होता है तथा
2.
वह एक परंपरा के रूप में
स्वयं को स्थापित करते हुए
3.
एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी
ने स्थानांतरित होता है तब इस प्रकार की धारणा को
रूढ़िवादी धारणा कहते हैं
4.
जो कि अपने अंदर समय बद्ध विविधताओं का समायोजन ना करते
हुए एक बंद सामाजिक तंत्र के समान कार्य करती है।
निष्कर्ष समाधान
"डॉक्टर अंबेडकर के अनुसार शिक्षा समस्त
समस्याओं का एकमात्र सटीक एवं प्रभावी
समाधान है।"
इस कथन के निष्कर्ष में कहा जा सकता है कि -
1.
एक समावेशी शिक्षण
व्यवस्था
2.
समाज के अंदर समस्त
पूर्वाग्रह असमानता पूर्ण व्यवहार एवं रूढ़िवादी सामाजिक
तंत्र का अंत कर सकती
है।
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