शक्ति संतुलन
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शक्ति संतुलन
- स्वतंत्र एवं संप्रभुता राज्यों के मध्य संबंध का मौलिक सिद्धांत शक्ति संतुलन है।
- मार्टिन राइट - शक्ति संतुलन अंतरराष्ट्रीय राजनीति का यथासंभव मूल सिद्धांत है।
- वैश्विक व्यवस्था में जो मुख्य 2, 3, 4 अथवा 5 शक्तियां होती है उनके परस्पर संघर्ष की स्थिति में शक्ति संतुलन सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है।
- शक्ति संतुलन का मुख्य उद्देश्य किसी राज्य के लिए अंतर्राष्ट्रीय अनुशासन की असंतुलन की स्थिति को अपने पक्ष में संतुलित करना है।
- संतुलन की स्थिति यह सुनिश्चित करती है की परस्पर संघर्ष में कोई भी एक पक्ष अथवा राज्य अन्य राज्य पर शक्ति प्रयोग ना कर सके / उसका अतिक्रमण या उस पर आक्रमण करने में समर्थ ना हो।
- शक्ति संतुलन का यह सिद्धांत सुनिश्चित करता है की स्वतंत्र राष्ट्र अपनी संप्रभुता को बनाते हुए स्वत: अपने शक्ति संबंधों का निर्वहन कर सके।
शक्ति संतुलन की विशेषताएं
- शक्ति संतुलन का जन्म अंतरराष्ट्रीय संबंधों में निहित असंतुलन की परिस्थितियों के परिणाम स्वरूप होता है क्योंकि शक्ति संबंध सदैव परिवर्तनशील होते हैं।
- शक्ति संतुलन सदैव यथा स्थिति / Status quo को बनाए रखने वाली नीति होती है तथा वही नीति सफल होती है जो समय अथवा परिस्थितियों के अनुरूप परिवर्तनशील एवं प्रगतिशील हो।
- शक्ति संतुलन समाप्ति की स्थिति में केवल एक ही परिणाम होता है वह युद्ध है जिसके परिणाम स्वरूप नवीन शक्तिशाली केंद्रों की स्थापना होती है ।
उदाहरण के लिए द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विश्व राजनीति पटल पर एक नवीन घटक के रूप में सोवियत संघ की स्थापना हुई जिसका परिणाम यह रहा कि नब्बे के दशक तक सोवियत संघ का विघटन होने की स्थिति में अमेरिका तथा सोवियत संघ के मध्य शीत युद्ध चलता रहा।
- शक्ति संतुलन मूल रूप से शांति स्थापित करने वाला उपकरण नहीं है तथा इस कारण से यह युद्ध को शक्ति संतुलन स्थापित करने का स्थाई साधन मानता है।
- सर्वाधिक महत्वपूर्ण विशेषता यह है की शक्ति संतुलन में केवल विशाल राष्ट्रीय ही वास्तविक घटक होते है।
- छोटे राष्ट्र या तो उनका आखेट बनते हैं अथवा दर्शक की भूमिका का निर्वहन करते हैं।
- वास्तव में विवाद रूस तथा यूक्रेन का न होकर रूस एवं अमेरिका का है जिसमें NATO का नेतृत्व करते हुए अमेरिका रूस के वनस्पति शक्ति संतुलन अपने पक्ष में बनाए रखना चाहता है जिसमें यूक्रेन एक आखेट घटक मात्र है इससे अधिक कुछ नहीं।
शक्ति संतुलन के मौलिक एवं अंतर्निहित मान्यताएं
- शक्ति संतुलन अनुशासन में सम्मिलित राज्य अपने हित तथा अधिकारों की सुरक्षा के लिए राज्य की सभी संसाधनों, जिसमें की युद्ध सम्मिलित है, का प्रयोग करता है।
- क्योंकि राज्य मान कर चलता है की उसके हितों को वर्तमान वैश्विक शक्ति अनुशासन में संकट उत्पन्न हुआ है जो कि भविष्य की दृष्टि से सुगम संकेत नहीं है।
- शक्ति संतुलन की स्थिति अथवा संकट उत्पन्न करने वाले राष्ट्र को आक्रमण करने से रोक सकती है अथवा जिस राष्ट्र पर आक्रमण हुआ है उसको बचा सकती है।
- शक्ति संतुलन स्थिति के आधार पर ही विदेश नीति का निर्धारण अंतरराष्ट्रीय संबंधों में किया जाता है।
- इस प्रकार शक्ति संतुलन की मूल अवधारणा यह है की यदि अंतरराष्ट्रीय संबंध अनुशासन में कोई एक राष्ट्र संकट उत्पन्न करने की स्थिति में आ जाता है तब शक्ति संतुलन उपकरण के माध्यम से उसके विस्तार को बाधित कर के उसको चेताया जाता है।
शक्ति संतुलन स्थापित करने के साधन
- क्षतिपूर्ति
- हस्तक्षेप
- मध्यवर्ती राज्य (Buffer state)
मध्यवर्ती राज्य शक्ति संतुलन की स्थिति में दो शक्तियों के मध्य स्थापित राज्य होता है
उदाहरण के लिए- यूक्रेन की स्थिति इस समय मध्यवर्ती राज्य की है जोकि अमेरिका तथा रूस के बीच मध्यवर्ती राज्य के रूप में फंसा हुआ है तथा दोनों ही संघर्षरत शक्तियां इसे अपने क्षेत्र में लाना चाहती हैं।
- शास्त्री करण अथवा निशस्त्रीकरण
- विभाजन एवं शासन नीति मैत्री संध्या संतुलन करता की अवधारणा।
निष्कर्ष
- मनुष्य के मूल प्रकृति में क्षणिक घटना के साथ किसी पर विश्वास करना नहीं होता यह एक व्यवहारिक पक्ष है।
- वैश्विक राजनीति का मूल उद्देश्य राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखना होता है।
- आर्थिक प्रगति किसी भी राष्ट्र का मूलाधार होती है लेकिन वैश्विक पटल पर आर्थिक प्रगति से भी आगे की बात वैश्विक राजनीति अनुशासन में अपने पक्ष को रखना एवं स्वीकार्यता प्राप्त करना एक प्रमुख उद्देश्य होता है।
- एक संप्रभुता एवं वैश्विक राष्ट्र के रूप में स्थापित होना प्रत्येक राष्ट्र की एक मूल स्वेच्छा होती है जिसकी प्राप्ति दो प्रकार से की जाती है ।
- प्रथम पक्ष में राष्ट्र को स्वयं में इतना शक्तिशाली बनाना कि स्वीकार्यता स्वत: ही स्थापित हो जाए तथा
- दूसरे पक्ष में शक्ति संतुलन को स्थापित करना जिसमें नवीन सत्ता के केंद्र को संघर्षरत रखना एवं अपनी श्रेष्ठता को बनाए रखना होता है।
वैश्विक शक्ति संतुलन में असंतुलन की स्थिति अंतर्निहित है अर्थात असंतुलन की स्थिति को संतुलित करने के लिए ही शक्ति संतुलन की अवधारणा को स्थापित किया जाता है।
- सामाजिक
- आर्थिक
- राजनैतिक
- प्रौद्योगिक
- सैन्य एवं
- अन्य क्रियाशील घटक के परिणाम स्वरूप किसी भी राष्ट्र की वैश्विक संतुलन की स्थिति निरंतर परिवर्तित होती रहती है जिस से उत्पन्न चुनौतियों को संतुलित करने के लिए एक राष्ट्र शक्ति संतुलन के सिद्धांत को अपनाता है जिसके अंतर्गत वह अन्य राष्ट्रों के साथ
- द्विपक्षीय,
- बहुपक्षीय अथवा
- संगठनात्मक संबंध अपनी विदेश नीति के माध्यम से स्थापित करता है।
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