शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात की उत्पत्ति के कारण !! The Reasons TEMPERATE CYCLONE Origination in HINDI
अनुक्रमणिका-
- प्रभावी बाल एवं उसके प्रकार
- चक्रवात के प्रकार
- शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात शब्द का अर्थ
- अक्षांश स्थिति उसका प्रभाव एवं प्रभावी कोरिओलिस बल का विवरण।
- वायु राशि क्या होती है एवं वायु प्रकार।
- चक्रवात निर्माण की प्रक्रिया।
भूगोल की दृष्टि से पृथ्वी पर दो सर्वाधिक
शक्तिशाली बल में से-
- एक समुद्र प्रवाह, तथा
- दूसरा पवन प्रवाह है।
पृथ्वी पर चक्रवात का निर्माण -
- संबंधित वायुदाब पेटी अर्थात वायुदाब एवं
- उसके कारण उत्पन्न हुए पवन प्रवाह पर निर्भर करता है।
हम जानते हैं पृथ्वी पर प्रमुख रूप से दो प्रकार के चक्रवात मिलते हैं -
- प्रथम उष्णकटिबंधीय चक्रवात, तथा
- द्वितीय शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात।
"उष्णकटिबंधीय चक्रवात/ Tropocal Cyclone" -
- निर्माण विषुवत
रेखा से औसत रूप में 35 डिग्री उत्तर तथा 35 डिग्री दक्षिण अक्षांश के मध्य होता है।
- भारत एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात देश है।
Note -
- कुछ शिक्षक गण अथवा पुस्तकों के माध्यम से बताया जाएगा कि
- भारत में शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात भी आते हैं
- किंतु यह कदापि सत्य नहीं है।
- यदि वायुदाब पेटी स्थानांतरण के कारण भी शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात आने की स्थिति बनती तो वह इसलिए शुन्य हो जाती है क्योंकि हिमालय की अपनी भौगोलिक स्थिति इसकी अनुमति नहीं देगी, तथा
- दूसरा तथ्य यह है किसी भी स्थिति में
यह 60
से 65 अक्षांश के मध्य की पवन पेटी इतना अधिक
नीचे नहीं खिसक सकती कि वह 35 डिग्री अक्षांश पर भारत की
उत्तरी सीमा को छू ले।
अब चक्रवात की बात करते हैं तो -
- "चक्र" तथा "वात" दो शब्दों की संधि से यह शब्द निर्माण होता है
- जहां "वात" का अर्थ वायु से तथा "चक्र" का अर्थ घूमने से है
- साधारण शब्दों में "एक चक्रीय व्यवस्था में घूमती हुई वायु"।
वायु का भ्रमण (Movement) हमको दो रूप में देखने
को मिलता है-
- एक "वायु धारा" के रूप में चौपाई ऊर्ध्वाधर गमन करती है
- जबकि दूसरे रूप में यह पवन प्रवाह के रूप में मिलती है जहां पर जब "वायु क्षैतिज स्तर पर अधिक वायुदाब क्षेत्र से निम्न वायुदाब क्षेत्र की ओर एक निश्चित दिशा में चलती" है।
हम जानते हैं कि "पृथ्वी पर चार प्रकार की
वायुदाब" पत्तियां मिलती हैं इसमें उपध्रुवीय निम्न वायुदाब पेटी पर "शीतोष्ण
कटिबंधीय" चक्रवात का निर्माण होता है।
👉क्या है "शीतोष्ण कटिबंधीय क्षेत्र"? विवरण/ Explaination 👀
शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात के चरणबद्ध उत्पत्ति कारण में -
- ध्रुवीय क्षेत्र से "शीत ध्रुवीय पुरवाई पवन" तथा शीतोष्ण
कटिबंधीय क्षेत्र से "उष्ण पश्चिमी पवन" का
मिलन 60 से 65 डिग्री अक्षांश पेटी पर मिलना है
- यह मिलन "ध्रुवीय शीत वायुदाब राशि" तथा "उष्ण पछुआ पवन वायुदाब राशि" के रूप में होता है।
- हम यह जानते हैं कि पृथ्वी पर "कोरिओलिस बल" भूमध्य रेखा पर शून्य, तथा ध्रुव पर अपनी शीर्ष अवस्था पर रहता है
- परिणाम स्वरूप इस "उपध्रुवीय निम्न वायुदाब पेटी" पर कोरिओलिस बल का प्रभाव तीव्र होता है।
- निम्न वायुदाब पेटी पर उत्तर तथा दक्षिण की वायुदाब राशियों का मिलन होता है, तथा
- कोरिओलिस बल के प्रभाव में वह उत्तरी गोलार्ध में घड़ी की विपरीत दिशा तथा दक्षिणी गोलार्ध में घड़ी के समानांतर दिशा में चक्रण करने लगती है, और
- इस प्रकार शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात की उत्पत्ति होती है।
उपरोक्त चित्र से स्पष्ट है कि-
- उत्तर की ओर से "शीत ध्रुवीय पवन वायु राशि" तथा दक्षिण की ओर से "उष्ण पश्चिमी पवन वायु राशि" के अभिसरण (Convergence), तथा
- कोरिओलिस बल / Coriolis Force के परिणाम स्वरूप शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात की उत्पत्ति होती है।
यहां ध्यान देने वाली बात सदैव (Always) यह है
कि-
- "ध्रुवीय शीत वायु राशि" सदैव "उष्ण पश्चिमी पवन वायु राशि" को ऊर्ध्वाधर स्थिति में उठाकर (अर्थात उसका स्थान घेर (Surrounded by) कर/ उसे उसके स्थान से विस्थापित (Displaced) कर) चक्रवात का निर्माण करेगी।
- साधारण शब्दों में हम इसको इस प्रकार समझ सकते हैं कि ठंडी वायु राशि एक "तल#वार" के समान है जबकि उष्ण वायु राशि "नींबू" के समान है
- अब नींबू तल#वार के पास जाए या तल#वार नींबू के पास आए अंततः नींबू का अस्तित्व समाप्त होगा।
दोनों वायु राशियों के -
- मिलन की अवस्थिति में उष्णकटिबंधीय चक्रवात प्रारंभ होता है, तथा
- जब "शीत वायु राशि" "उष्ण वायु राशि" को ऊपर उठकर समाप्त कर देती है तब इस स्थिति को चक्रवात की समाप्ति कहते हैं।
👉उष्णकटिबंधीय
चक्रवात के प्रकार👀
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