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Showing posts from January, 2025

प्रश्न - प्रायद्वीपीय भारत में पश्चिमी घाट की नदियाँ डेल्टा नहीं बनाती। क्यों?

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  अनुक्रमणिका- प्रश्न की समझ प्रश्न से संबंधित व्याख्या  प्रमुख रूप से डेल्टा निर्माण प्रक्रिया में प्राथमिक रूप से उपस्थित कारक पश्चिमी घाट एवं पूर्वी घाट की स्थलाकृति का अंतर आदर्श उत्तर   👉   अन्य विषय की अध्ययन सामग्री के लिए साइटमैप देखें   👀 व्याख्यान- नदी प्रवाह के तीन चरण होते हैं - युवावस्था, प्रोण अवस्था एवं  वृद्ध अवस्था , तथा डेल्टा स्थलाकृति निर्माण की प्रक्रिया नदी की वृद्ध अवस्था अर्थात तृतीय चरण का परिणाम है। डेल्टा बनने की स्थिति में आवश्यक है कि-  नदी की ढाल प्रवणता लगभग 0.5 ° ( डिग्री) अर्थात लगभग शून्य के निकट होनी चाहिए। नदी जिस मार्ग पर प्रवाहित होकर आ रही है वह अधिकतम अवसादी चट्टानों का बना होना चाहिए परिणाम स्वरूप अवसाद पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो सके  क्योंकि हम जानते हैं की आग्नेय चट्टान तथा रूपांतरित चट्टानें कठोर चट्टान होती है जो की निम्न अवसादीकरण की प्रक्रिया में न्यूनतम अवसाद को उपलब्ध करवाती है।         👉   NCERT- भूगोल-कक्षा- 06- अध्याय   👀   इसी प्रवाह प...

राज्यव्यवस्था में लोक कल्याणकारी राज्य ( #Welfare #State ) की अवधारणा

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  👉 प्रथम यह अध्ययन करें  👀 👉 Supreme Court vs President ofIndia !! TAMIL NADU !! 👀 राज्य की परिभाषा- राजनीतिक राज्य कीपरिभाषा- संवैधानिक ग्राम स्वराज(Self GOVERNMENT) 👉 अन्य विषय के लिए साइटमैप देखें   👀 कल्याणकारी   राज्य   अवधारणा   का   उदय  - उदारवाद   अवधारणा   में निहित   है।  जहां - व्यक्ति   विशेष   तथा   व्यक्ति   समूह   को   प्राथमिक विषय   में रखकर   नीतियां निर्धारण की   जाती   है। उदारवाद - व्यक्तिवाद एवं  साम्यवाद कि मध्य स्थिति संतुलन की अवधारणा  है  जहां पर व्यक्ति स्वतंत्रता  एवं  आर्थिक सुरक्षा के मध्य सामंजस्य  स्थापित किया जाता है। एक कल्याणकारी राज्य - साम्यवाद  एवं  व्यक्तिवाद के मध्य एक समझौता  प्रदान करता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि लोक कल्याणकारी राज्य - उदारवाद एवं  समाजवाद का एक संतुलित मिश्रण  है। Note-  हमे इस तथ्य पर ध्यान देना है की उदारवाद  व्यक्तिवाद एवं लोकतांत्रिक स...

शक्ति संतुलन

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  👉  प्रथमयह अध्ययन करें   👀   👉 सैफ अली खान और Bollywood का सुपर हीरो ?? 👀   शक्ति संतुलन स्वतंत्र   एवं संप्रभुता राज्यों के मध्य संबंध का   मौलिक   सिद्धांत शक्ति संतुलन है। मार्टिन राइट   -   शक्ति   संतुलन   अंतरराष्ट्रीय राजनीति का यथासंभव मूल सिद्धांत है। वैश्विक व्यवस्था में जो  मुख्य  2,  3 ,  4 अथवा 5 शक्तियां   होती है उनके परस्पर संघर्ष की स्थिति में शक्ति संतुलन सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है। शक्ति संतुलन का  मुख्य उद्देश्य किसी  राज्य के लिए  अंतर्राष्ट्रीय अनुशासन  की असंतुलन की स्थिति को अपने पक्ष में संतुलित करना है। संतुलन की स्थिति  यह सुनिश्चित करती है की परस्पर संघर्ष में कोई  भी एक पक्ष अथवा राज्य अन्य राज्य पर शक्ति प्रयोग ना कर सके  /  उसका अतिक्रमण या उस पर आक्रमण करने में समर्थ ना हो। शक्ति संतुलन का यह सिद्धांत  सुनिश्चित करता है की स्वतंत्र राष्ट्र अपनी संप्रभुता को बनाते हुए स्वत: अपने शक्ति संबंधों का निर्वहन कर सके। ...