खंडित हुआ पेरिस समझौता (Paris Agreement)? पिघलती पृथ्वी निश्चित भविष्य का विनाश।

 

संयुक्त राष्ट्र संघ/ United Nation Organisation-UNO के नवीनतम समाचार के अनुसार-


  1. पेरिस समझौते/Paris Agreement के अंतर्गत जो लक्ष्य निर्धारित किया गया था, 
  2. कि इस सदी के अंत तक हमें पृथ्वी के बढ़ते हुए तापमान को औसत वृद्धि दर 02 डिग्री सेंटीग्रेड तक सीमित करना है, तथा 
  3. इस लक्ष्य की प्राप्ति करते हुए हम प्रयास करेंगे कि यह 1.5 डिग्री सेंटीग्रेड तक सीमित रहे 
  4. वह प्रथम लक्ष्य टूट चुका है।


अर्थात- 

  1. वैश्विक समुदाय के द्वारा
  2. नैतिकता के आधार पर जो बातें दिन प्रतिदिन तथा हर समय की जाती है 
  3. उन अग्रणी नेताओं के माध्यम/ द्वारा ही हम अपने लक्ष्य को खंडित कर चुके हैं।


यद्यपि संयुक्त राष्ट्र संघ यह बात कह रहे हैं कि -

  1. इस तापमान वृद्धि को एक सतत तथा स्थाई वृद्धि अभी नहीं माना जा सकता 
  2. क्योंकि अनेक भौगोलिक कर्म के द्वारा ऐसा हो सकता है कि किसी एक निश्चित महीने के लिए अथवा किसी एक निश्चित वर्ष के लिए तापमान में वृद्धि हुई हो 
  3. परिणाम स्वरुप हमारा लक्ष्य खंडित हुआ हो 
  4. इसलिए यह आवश्यक है कि वैश्विक मौसम संगठन WORLD METEOROLOGICAL ORGANISATION, 
  5. -जो कि इसका अध्ययन दशकीय वृद्धि/ Decadal Growth के आधार पर करती है- 
  6. कि रपट आने के पश्चात ही यह निर्धारित किया जाएगा कि हम लक्ष्य को खंडित कर चुके हैं अथवा नहीं?

    "किंतु किसी भी स्तर से यह कहना गलत होगा कि हम औसत तापमान को खंडित करने की दिशा में अग्रसर नहीं है।"

पृथ्वी का तापमान -

  1. दिन प्रतिदिन औसत रूप से बढ़ रहा है 
  2. यदि हम अध्ययन करते हैं तो उसके निम्नलिखित परिणाम हम लोग के समक्ष आते हैं। 


इन परिणामों का अध्ययन कर समझ में आता है कि -

  1. मानव जाति समाज तथा सभ्यता एक घोर अदृश्य संकट में है 
  2. यदि समाज की पर्यावरणीय तथा सामाजिक शिक्षा इस विषय को लेकर नहीं की गई तो हम नेतृत्व करता, संज्ञान के साथ, विनाश को आमंत्रित कर रहे हैं।

यह संकेत हमारे लिए एक चेतावनी का कार्य कर रहे हैं -

  1. जहां लगभग निश्चित है कि हम इस लक्ष्य को खंडित करेंगे, तथा 
  2. पुनः एक बार वैश्विक समुदाय एक वैश्विक स्तर का सम्मेलन कर के 
  3. नए लक्षण का निर्धारित कर विषय को निलंबित कर आगे बढ़ने का प्रयास करेगा

वैश्विक राजनीतिक अस्थिरता तथा अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप/ Donald Trump के द्वारा निकट भूतकाल में यह घोषणा कि अमेरिका पेरिस समझौते/Paris Agreement से बाहर आ रहा है सुनिश्चित करता है कि हम इस लक्ष्य को अर्थात पेरिस समझौते को खंडित करेंगे ही करेंगे।

     


  1. पूंजीवाद का बढ़ता हुआ प्रभाव 
  2. वैश्विक असमानताएं 
  3. व्यापारिक प्रतिदिनता प्रमुख रूप से अमेरिका और चीन के मध्य 
  4. वैश्विक तनाव तथा 
  5. समुदायों का संवाद संकुचिता 
यह कुछ प्रमुख कारण है जो की संकेत देते हैं कि पेरिस समझौते के लक्ष्य को खंडित होना ही है।


यह पृथ्वी -


  1. हमारे लिए घोंसले/ Niche के समान है 
  2. इस घोसले में हम लोग एक घर के रूप में अपना जीवन यापन करते हैं 
  3. चुकी यह लगभग निश्चित है की वैश्विक समुदाय की समझ बन चुकी है कि पृथ्वी का पर्यावरण दिन प्रतिदिन न्यूनतम स्तर की ओर जा रहा है
  4. पिघलती हुई पृथ्वी तथा पर्यावरण निम्नीकरण एक शांत लेकिन अवश्यंभावी मृत्यु काल के समान है 
  5. मानवीय समाज को सजग होने की आवश्यकता है 
  6. यदि ऐसा नहीं हुआ तो आने वाली पीढ़ियां हमको कोसने

 के लिए और अपशब्द कहने के लिए तैयार है।

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